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रिलायंस का बड़ा कदम: गुजरात के दाहेज में 383 करोड़ में शिपयार्ड का अधिग्रहण, ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट को बढ़ावा!

रिलायंस का बड़ा कदम: गुजरात के दाहेज में 383 करोड़ में शिपयार्ड का अधिग्रहण, ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट को बढ़ावा!: मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने गुजरात के दाहेज में स्थित नौयान शिपयार्ड के 74% हिस्सेदारी को 383 करोड़ रुपये में खरीदने का ऐलान किया है। यह डील बीके गोयनका की कंपनी वेल्स्पन कॉर्प से की गई है। रिलायंस को इस सौदे के जरिए दाहेज में 138 एकड़ लीजहोल्ड जमीन मिलेगी, जो उसके पेट्रोकेमिकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के नजदीक स्थित है। इस जमीन का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स के लिए नमक भंडारण, ब्राइन तैयार करने और हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर बनाने की सुविधाएं विकसित करने में किया जाएगा।

डील का ब्रेकडाउन: कैसे हुआ खरीदारी का ट्रांजैक्शन?

  1. पहला चरण: रिलायंस ने 1 लाख रुपये में वेल्स्पन ट्रेडिंग्स की सहायक कंपनी नौयान ट्रेडिंग्स को 100% खरीदा।
  2. दूसरा चरण: नौयान ट्रेडिंग्स अब वेल्स्पन कॉर्प से नौयान शिपयार्ड की 74% हिस्सेदारी 383 करोड़ में अधिग्रहित करेगी।
  3. कुल वैल्यूएशन: नौयान शिपयार्ड की कुल कीमत (कर्ज और इक्विटी मिलाकर) 644 करोड़ रुपये आंकी गई है।

जमीन का बैकग्राउंड:

  • जनवरी 2023 में वेल्स्पन कॉर्प ने दिवालिया एबीजी शिपयार्ड से दाहेज में 165 एकड़ जमीन, 1,000 मीटर वाटरफ्रंट और पुराने जहाज 659 करोड़ में खरीदे थे।
  • रिलायंस को इस डील में फोरशोर लैंड (तटीय क्षेत्र) के इस्तेमाल का अधिकार भी मिला है।

ग्रीन हाइड्रोजन प्लान: रिलायंस की बड़ी रणनीति

रिलायंस का यह कदम उसकी ग्रीन एनर्जी पहल को गति देने के लिए है। कंपनी ने 2023 में रिलायंस न्यू एनर्जी बनाकर इलेक्ट्रोलाइजर सेक्टर में एंट्री की थी। नई सुविधाओं से कंपनी की इलेक्ट्रोलाइजर उत्पादन क्षमता 1 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है।

प्रोजेक्ट कॉम्पोनेंट्सविवरण
नमक भंडारणग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए कच्चा माल
ब्राइन प्रिपरेशन प्लांटसमुद्री नमक को शुद्ध करने की प्रक्रिया
हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजरपानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ने वाली मशीनें

एनालिस्ट व्यू: क्यों अहम है यह डील?

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दाहेज में पेट्रोकेमिकल प्लांट के पास जमीन मिलने से रिलायंस को लॉजिस्टिक्स और कॉस्ट में बड़ी बचत होगी। यहां ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाने से कंपनी 2035 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने में आसानी होगी। एनर्जी सेक्टर के जानकार राजीव मेहता कहते हैं, “रिलायंस का यह कदम भारत के ग्रीन एनर्जी सेक्टर को ग्लोबल मैप पर लाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।”


वेल्स्पन कॉर्प के लिए क्या मायने?

वेल्स्पन कॉर्प के लिए यह डील कर्ज कम करने और कोर बिजनेस पर फोकस बढ़ाने का मौका है। कंपनी ने पिछले साल दाहेज की जमीन खरीदी थी, लेकिन शिपयार्ड बिजनेस में घाटे के चलते उसे रिलायंस को बेच दिया।


आगे की राह:
रिलायंस की यह खरीदारी उसकी ग्रीन एनर्जी महत्वाकांक्षाओं को और मजबूती देगी। दाहेज में नई सुविधाएं बनने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। साथ ही, यह डील गुजरात को भारत के ग्रीन हाइड्रोजन हब के तौर पर स्थापित करने में मदद करेगी।

स्रोत: रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रेस विज्ञप्ति, बीएसई फाइलिंग्स।

क्या आपको लगता है ग्रीन हाइड्रोजन भारत के एनर्जी फ्यूचर का समाधान है? कमेंट में बताएं! 🌱⚡

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