हरियाणा में मनरेगा घोटाले पर बड़ी कार्रवाई: CM नायब सिंह सैनी का कड़ा एक्शन!

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने मनरेगा योजना में घोटाले को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सीवन खंड में अनियमितताओं के चलते खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय की ABPO प्रियंका शर्मा और चार जूनियर इंजीनियरों (JE) को तत्काल प्रभाव से उनके पदों से हटा दिया है। साथ ही, उच्चाधिकारियों को जांच कर दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

क्या है पूरा मामला? 🔍
हरियाणा के विकास एवं पंचायत विभाग में घोटाले की यह घटना सीवन खंड के ककराला इनायत और ककहेड़ी गांवों से जुड़ी है। जांच में सामने आया कि गांव ककहेड़ी में विदेश में रहने वाले लोगों के जॉब कार्ड बनाए गए और फर्जी हाजिरी लगाकर लाखों रुपये हड़प लिए गए।
इस गड़बड़ी में शामिल तीन मनरेगा मेट – रणधीर सिंह, अनुज और सतपाल को पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। मेट्स के कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी ABPO की होती है, इसलिए प्रियंका शर्मा के खिलाफ भी कार्रवाई की गई।
मुख्यमंत्री का कड़ा रुख ⚡
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों से 15 दिनों के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) पेश करने के निर्देश दिए हैं।
“हम हर हाल में सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बनाए रखेंगे। किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी,” – नायब सिंह सैनी
4 JE भी कार्यमुक्त 🛠️
इस मामले में केवल पंचायत विभाग ही नहीं, बल्कि सिंचाई विभाग में भी अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं। सरस्वती डिविजन-3 के चार JE – सोनू, शुभम धीमान, सलिंद्र कुमार और मुनीष कुमार पर भी गड़बड़ी के आरोप लगे। इनसे XEN दिग्विजय शर्मा ने स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर मुख्यमंत्री ने सभी को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया।
कार्यमुक्त किए गए JE:
नाम | विभाग | स्थिति |
---|---|---|
सोनू | सिंचाई विभाग | कार्यमुक्त |
शुभम धीमान | सिंचाई विभाग | कार्यमुक्त |
सलिंद्र कुमार | सिंचाई विभाग | कार्यमुक्त |
मुनीष कुमार | सिंचाई विभाग | कार्यमुक्त |
इन अधिकारियों को मुख्यालय पर रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए हैं।
घोटाले में IAS अफसरों के नाम भी जुड़े! 🏛️
मनरेगा में भ्रष्टाचार का यह मामला और भी बड़ा हो सकता है। जांच में पाया गया कि इस घोटाले में छह IAS अफसरों के नाम भी सामने आए थे। हालांकि, विजिलेंस (अब एंटी करप्शन ब्यूरो) द्वारा दर्ज की गई FIR में इन अधिकारियों को आरोपी नहीं बनाया गया।
👉 विजिलेंस की जांच में सामने आया कि छह IAS अधिकारियों के माध्यम से लगभग 3400 लाख रुपये (34 करोड़ रुपये) का फंड जारी किया गया था।
कितनी हुई गड़बड़ी? 💰
मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक,
📌 एक मामले में ₹11,91,400 का गबन हुआ।
📌 दूसरे मामले में ₹17,90,000 की हेराफेरी सामने आई।