सिरसा में बाढ़ राहत के नाम पर 6 साल से चल रहा बड़ा घोटाला 💰
Haryana Darshan हरियाणा से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। सिरसा जिले में बाढ़ राहत के नाम पर फर्जी बिल तैयार करके पिछले 6 वर्षों से सरकार को बड़ा चूना लगाया जा रहा था। आइए जानते हैं इस मामले में मिली पूरी जानकारी और इसका कैसे खुलासा हुआ है।
भ्रष्टाचार का खुलासा RTI से 🕵️♂️
एक तरफ जहां भाजपा भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा कर रही है, वहीं रानियां क्षेत्र में सिरसा के सिंचाई विभाग में बाढ़ राहत के नाम पर करोड़ों रुपए के खर्च में बड़ा घोटाला सामने आया है। यह खुलासा RTI के माध्यम से हुआ है। जानकारी के मुताबिक, इस मामले की शिकायत चंडीगढ़ मुख्यालय तक भेजे जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
मिलीभगत का आरोप 🤝
मिली जानकारी के अनुसार, बाढ़ राहत के नाम पर पिछले 6 वर्षों से फर्जी बिल तैयार करके सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया गया है। वर्ष 2019 से 2023 के दौरान घग्गर नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बहने वाली घग्गर नदी के तटबंधों को मजबूत करने और इलाके को बाढ़ के इंतजाम के नाम पर नहरी विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ कथित मिलीभगत करके सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है।
शिकायत और कार्रवाई 🚨
मिली जानकारी के अनुसार, दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिला प्रशासन से लेकर विभाग के मुख्यालय, स्टेट विजिलेंस व प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्राचार किया गया है। इन पत्राचारों के बाद विजिलेंस टीम ने दिखावे के तौर पर बयान दर्ज किए हैं, लेकिन इसके बाद जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। यह मामला सीएम विंडो में भी दर्ज करवाया गया है। जिसकी जांच जूनियर अधिकारियों द्वारा करवा कर मामले को रफा-दफा करवा दिया गया है।
साइफन घोटाला 🔧
मिली जानकारी के अनुसार, एक दूसरे मामले में ओटू हैड पर करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए एक साइफन में भी भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। यह साइफन निर्माण के 1 महीने बाद ही टूट गया है। इसकी शिकायत करने के बाद भी इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ओटू हैड की खुदाई करके मिट्टी उठाने के मामले में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। शिकायत विभाग के उच्च अधिकारियों को दी गई, लेकिन इस बार भी मामला ठंडे बस्ते में समा गया है।
खाली बैग सप्लाई का खुलासा 🚜
ओटू हैड के तटबंधों को मजबूत करने में खुलासा हुआ है कि 2 वर्षों के दौरान एक वाहन ने पूरे सामान की सप्लाई की है, जो कि झज्जर का नकारा घोषित ट्रैक्टर है। इस ट्रैक्टर से हर साल खाली बैग की सप्लाई करवाई गई है। विभाग द्वारा कॉन्ट्रैक्ट किए ठेकेदार ने दो अलग-अलग फर्मों की कोटेशन भी दी है, जोकि फर्जीवाड़ा उजागर कर रही है। इसके अलावा कोई भी सामान खरीदने की रिपोर्ट नहीं है।
अधिकारियों का बयान 📢
इस बारे में नहरी विभाग के अधीक्षक अभियंता पवन भारद्वाज ने कहा कि मामले की जांच जारी है, फिलहाल मामले को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता।