हत्या के 1.5 साल बाद जिंदा लौटी ललिता बाई: अपहरण, बंधक जीवन और पुलिस जांच पर उठे सवाल

हत्या के 1.5 साल बाद जिंदा लौटी ललिता बाई: अपहरण, बंधक जीवन और पुलिस जांच पर उठे सवाल: मंदसौर। गांधीसागर थाना क्षेत्र के नावली गांव में एक ऐसी घटना ने सबको हैरान कर दिया है, जो सीधे क्राइम थ्रिलर फिल्म की कहानी जैसी लगती है। 32 वर्षीया ललिता बाई, जिसे परिवार और पुलिस ने डेढ़ साल पहले मृत मान लिया था, अचानक जिंदा घर लौट आई! उसके साथ ही हत्या के झूठे केस से लेकर पुलिस जांच की विश्वसनीयता तक पर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या हुआ था?
अगस्त 2023 में ललिता अपने घर से गायब हो गई। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई, लेकिन 9 सितंबर 2023 को झाबुआ के थांदला में एक ट्रक से कुचले गए शव को ललिता का मानकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। पिता रमेश ने शव की पहचान की थी, और पुलिस ने भानपुरा के इमरान, शाहरुख, सोनू व एजाज को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। यह केस आज भी झाबुआ कोर्ट में चल रहा है।
ललिता ने सुनाई दर्दनाक कहानी
गुरुवार को ललिता ने गांधीसागर थाना पहुंचकर बताया कि उसका अपहरण करके शाहरुख ने कोटा के किसी व्यक्ति को 5 लाख रुपये में बेच दिया था। वह डेढ़ साल तक बंधक बनकर रही, जब तक कि भागने का मौका नहीं मिला। उसने अपने आधार कार्ड और वोटर आईडी से पहचान साबित की, जिसके बाद पुलिस ने परिवार से पुष्टि की।
पुलिस जांच पर सन्नाटा!
ललिता के जिंदा लौटने ने पुलिस की जांच प्रक्रिया को ही शर्मसार कर दिया है। बड़े सवाल:
- अगर ललिता जिंदा है, तो थांदला में मिला शव किसका था?
- बिना DNA टेस्ट के सिर्फ पिता की पहचान पर केस क्यों बनाया गया?
- क्या यह केस हाई-प्रोफाइल ट्रैफिकिंग रैकेट से जुड़ा है?
झाबुआ एसपी पद्म विलोचन शुक्ल ने स्वीकारा, “शव की पहचान नए सिरे से होगी। पूरे केस की फिर से जांच हो रही है।” वहीं, गांधीसागर थाना प्रभारी तरुणा भारद्वाज ने कहा, “ललिता के दस्तावेज और ग्रामीणों की पुष्टि के बाद उसे रिहा किया गया।”
परिवार के लिए खुशी और सदमा
ललिता के दो बच्चों के लिए यह मां का “दूसरा जन्म” है। लेकिन परिवार अब भी सदमे में है। पिता रमेश कहते हैं, “हमने तो अपनी बेटी को आग दे दी थी… यह कैसे संभव है?”
अब क्या होगा?
- थांदला के शव की DNA जांच की जाएगी।
- हत्या के आरोपी युवकों को जमानत का रास्ता खुल सकता है।
- ललिता के खिलाफ भी पुलिस FIR दर्ज करेगी?
न्यायिक पेंच: वकील राजेश व्यास बताते हैं, “अगर ललिता की हत्या का केस झूठा निकला, तो आरोपियों को जमानत मिल सकती है। साथ ही, पुलिस पर गलत पहचान का मामला बनेगा।”
क्यों है यह केस खास?
- महिला ट्रैफिकिंग और पुलिस लापरवाही की झलक।
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर की गई जांच।
- भारतीय कानून व्यवस्था में पहचान प्रक्रिया की कमजोरियां।
ललिता का केस साबित करता है कि “मौत के बाद जिंदगी” सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि एक हैरान करने वाली हकीकत भी हो सकती है। अब देखना है, पुलिस इस जटिल पहेली को कैसे सुलझाती है!