हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति सूची में बदलाव की उठाई मांग: 12 साल बाद समीक्षा
हरियाणा में अनुसूचित जाति की सूची में बदलाव के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि अनुसूचित जाति की सूची में तीन जातियों के नामों को हटाया जाए, जो अब समाज में नकारात्मक और आपत्तिजनक अर्थों में इस्तेमाल हो रहे हैं। इस कदम का उद्देश्य जातिगत पूर्वाग्रहों को कम करना और समाज में समानता को बढ़ावा देना है।
📝 समीक्षा और पत्र की पृष्ठभूमि 📜
हरियाणा सरकार ने यह पत्र केंद्र सरकार को इस महीने भेजा है, जिसमें अनुसूचित जाति की सूची में शामिल “चुरा”, “भंगी” और “मोची” जैसे जातिगत नामों को हटाने की मांग की गई है। सरकार का कहना है कि ये नाम न केवल आपत्तिजनक हैं, बल्कि अब इनकी प्रासंगिकता भी समाप्त हो चुकी है। राज्य सरकार ने इन जातियों को वर्चस्ववादी और अपमानजनक तरीकों से संबोधित किए जाने का आरोप लगाया है।
सरकार ने यह भी कहा कि इन जातिगत नामों का उपयोग अक्सर गाली के रूप में किया जाता है, जो सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाता है।
🔍 समीक्षा का इतिहास और हुड्डा सरकार का पत्र 📆
यह पहला अवसर नहीं है जब इस मुद्दे पर विचार किया गया हो। साल 2013 में, जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तब भी ऐसे ही एक पत्र केंद्र सरकार को भेजा गया था। हालांकि, उस पत्र का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, और अब हरियाणा सरकार ने इस मसले पर नए सिरे से पहल की है।
जाति का नाम | सूची में क्रम संख्या |
---|---|
चुरा | 2 |
भंगी | 2 |
मोची | 9 |
🧐 क्या कहती है हरियाणा सरकार? 🏛️
हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर अपने पत्र में निम्नलिखित दलीलें दी हैं:
1. जातिगत पूर्वाग्रह का हिस्सा 💡
हरियाणा सरकार का कहना है कि इन जातिगत नामों का उपयोग समाज में जातिगत पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देने के रूप में किया जा रहा है। पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े होने के बावजूद, इन नामों को अक्सर उपहास और नकारात्मक अर्थों में प्रस्तुत किया जाता है। यह सामाजिक समरसता को प्रभावित करता है और समाज में असमानता को बढ़ावा देता है।
2. कानून में संशोधन की आवश्यकता 📜
सरकार ने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 के तहत ऐसी शिकायतों का निवारण किया जाता है, जिसमें दंड के कड़े प्रावधान होते हैं। हालांकि, इन जातियों के नाम हटाने के लिए संविधान (SC) आदेश 1950 में संशोधन करने की आवश्यकता होगी, जैसा कि एससी और एसटी की सूचियों से जातियों को शामिल और बाहर करने के लिए किया जाता है।
💬 केंद्र सरकार का क्या रुख? 🏛️
केंद्र सरकार ने हरियाणा सरकार के पत्र को संज्ञान में लिया है और अब इसकी जांच शुरू कर दी है। इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मामले में उचित कदम उठाए जाएं और समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ा जाए।
🔮 आगे का रास्ता 🚶
हरियाणा सरकार की इस पहल से यह प्रतीत होता है कि राज्य सरकार जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और समाज में समानता लाने के लिए गंभीर है। अगर केंद्र सरकार इस पर सकारात्मक कदम उठाती है तो यह न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक बन सकता है।