नियमित भर्ती के बाद हटाए गए कर्मचारी, सरकार ने मांगा विवरण
हरियाणा से बड़ी खबर आ रही है! राज्य में ग्रुप-C और ग्रुप-D के उन कच्चे कर्मचारियों को लेकर हड़कंप मच गया है, जो पांच साल से कम समय से सेवा में थे और नई नियमित भर्ती के बाद उनकी नौकरी चली गई। सरकार ने अब इस मामले पर संज्ञान लिया है और विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
क्या है पूरा मामला? 🤔
सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा सरकार ने नियमित भर्ती के तहत विभागों, बोर्डों और निगमों में नए कर्मचारियों की नियुक्ति की, जिससे उन कच्चे कर्मचारियों को हटा दिया गया जिनकी सेवा अवधि पाँच साल से कम थी। अब उनकी जगह नियमित कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
लेकिन कर्मचारियों की छंटनी के बाद कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया और सरकार पर दबाव बनाया कि इन कर्मचारियों के लिए कोई ठोस समाधान निकाला जाए।
सरकार की नीति और कानूनी सुरक्षा ⚖️
हरियाणा सरकार पहले ही यह तय कर चुकी है कि जिन कच्चे कर्मचारियों की सेवा अवधि पाँच साल या उससे अधिक है, उन्हें सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) की उम्र तक रोजगार की गारंटी दी जाएगी। लेकिन जिन कर्मचारियों की सेवा अवधि पाँच साल से कम थी, वे इस नीति से बाहर हैं, जिससे वे प्रभावित हुए हैं।
सरकार के इस फैसले के बाद कर्मचारी संगठनों का विरोध तेज हो गया है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मामले की जांच के निर्देश दिए हैं और मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने सभी विभागों से इस संदर्भ में रिपोर्ट मांगी है।
किन विभागों से मांगी गई रिपोर्ट? 🏢
हरियाणा सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निम्नलिखित अधिकारियों और विभागों से जानकारी तलब की है:
विभाग/अधिकारी | अधिकार क्षेत्र |
---|---|
प्रशासनिक सचिव | सभी विभाग |
विभाग प्रमुख | राज्यस्तरीय विभाग |
बोर्ड-निगम के प्रबंध निदेशक | सभी बोर्ड और निगम |
मुख्य प्रशासक | निगम और प्राधिकरण |
मंडलायुक्त | सभी मंडल |
उपायुक्त (DC) | सभी जिलों में |
उपमंडल अधिकारी (SDM) | उपमंडल स्तर |
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार | न्यायिक क्षेत्र |
कर्मचारी संगठनों का विरोध और आगे की रणनीति 🔥
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पाँच साल से कम सेवा अवधि वाले कर्मचारियों को हटाना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन कर्मचारियों को भी नौकरी की सुरक्षा दी जाए।
संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन कर सकते हैं।
क्या हो सकता है समाधान? 🧐
सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर अध्ययन कर रही है और संभावना जताई जा रही है कि:
✅ हटाए गए कर्मचारियों को किसी अन्य सरकारी योजना के तहत रोजगार दिया जा सकता है। ✅ संविदा (Contract) के आधार पर दोबारा भर्ती की जा सकती है। ✅ सरकारी और निजी क्षेत्रों में इन कर्मचारियों को समायोजित करने के लिए एक नीति बनाई जा सकती है। ✅ कोई विशेष राहत पैकेज लाया जा सकता है।